वीडियो जानकारी: 31.07.2022, वेदांत महोत्सव, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
झूठे सुख को सुख कहे, मानत है मन मोद।
जगत चबैना काल का, कुछ मुख में कुछ गोद।।
~ संत कबीर
साईं मेरा बानिया, पल-पल करे व्यापार।
बिन डांडी बिन पालड़ा, तोले अखल संसार।।
~ अध्यात्म का सुख-दुःख से क्या संबंध है?
~ क्या अध्यात्म से सुख मिलता है?
~ हम सुख के पीछे क्यों भागते हैं?
~ सुख-दुःख के साक्षी कैसे बनें?
~ दुःख से कैसे बचें?
~ दुःख की स्थिति में क्या करें?
~ निराशा की मूल वज़ह क्या होती है?
~ जीवन में इतना दुःख क्यों है?
~ क्या सुख से शांति संभव है?
संगीत: मिलिंद दाते
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